Book Title: Ganeshvrat Katha
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Page 27
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गन्ज माला // 6 // // पार्वत्युवाच॥ ॥कथंगणेश्वरः पूज्योमापेकिंभोजनंसु कथा. 13 गत किनामकिंचनैवैद्यंतड्दस्वविशेषतः॥१॥ ॥श्रीगणेशवाचा। मा. माएमासेगणाध्यक्षभालचंद्रप्रपूजयेत् ॥श्रद्धयापूजयेद्देवंषोडशैरुपचारकै: |२|मोदकान्कारयेन्मातस्तिलजान्दशपार्वति॥देवाग्रेस्थापयेत्संचपंचचिप्रायकल्पयेत्॥३॥ पूजयित्वातुतंविभक्तिभावेनदेववत्॥दक्षिणांच यथाशस्थामोदकापंचदापयेत्॥४॥स्वयंदशतिलान्देषिभुजीयाद्भक्ति लत्परः॥ इनिहासंप्रवक्ष्यामीहरिश्चंद्रस्यभूपतेः॥५॥आसीत्पूर्वयुगेराजा हरिश्चंद्र प्रतापवान्॥क्षत्रधर्मरतःसाधुःसत्यसंघोहिजार्चकः॥६॥नाध-|| |13 मिरिश्यतेदेवितस्मिनाज्यंप्रशासति॥नहीनवदनः कश्चिनदुःरचीनदरिद्र For Private and Personal Use Only

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