Book Title: Ganeshvrat Katha
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गन // ॥विप्रउवाच॥ ॥स्नुषेक्कयामिरडोहंपुत्रैःस्त्राभिर्निरारुतः॥तव कथा गेहेनपश्यामिधनंकिंचितमम॥१६॥ सिद्धिर्भवतिकल्याणिचिंतयामिपु फा. नःपुनः॥ इतितस्यवचःश्रुत्वाकनिष्ठाप्रासादरम्॥१७॥ ॥कनिष्ठोवाच // ॥किमर्थविद्यसेतातव्रतंकुरुयहच्छया।उपोष्ये हंव्रतंभत्त्यासदास कष्ठनाशनम्॥१-सिद्धिस्तुभविताशीघंहेरंबस्यप्रसादतः॥ इत्यक्त्वासास्नु पायामेतिक्षाकत्वागतारहे ॥१९॥आत्मायैश्वशुरस्याथैकुर्वतीमोदकान्प थक्॥चंदनंसुमनोदूर्वाशुभाक्षतफलानिच॥२०॥धूपदीपंचनैवेद्यसतांबू लंपृथक्पृथक्॥ पूजयित्वागणाध्यक्षश्वशुरेणसमंसती॥२१॥श्वशारंभोज यित्वाथसम्यक्प्रीत्यासुशोभना॥निराहारास्वयंतस्थौ भोजनाभावतो दिने।।२२|| For Private and Personal Use Only

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