Book Title: Ganeshvrat Katha
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Page 30
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दद्यादितिप्राहरहस्थितः॥२२॥ तदाहचिंतयामासकस्पटामिवाल कम् // यस्यबालंददाम्यमोसमांछेत्स्यतिसत्वरम्॥२३॥ इतिभीस्यामहारा जरडिकातनयंबलिम्॥कृत्वामृत्पात्रनिवहंददाम्यनिसुनिश्चितम्॥२४॥ सचमाहनिजांभार्याषिशर्मामृतोद्विजः।तत्पनीरडिकानित्यक्षिक्षाकृत्योप जीविनी ॥२५॥साकरिष्यतिकिषालेतत्पुत्रोयंमयाहतः॥पकपात्राणिसर्वा |णिकार्यमेचभविष्यति // 26 // इतिरात्रीसुरवंसुस्वाप्रातःपात्रदिदृक्षया॥ गतस्तत्रावमुच्याथयावत्पश्यामिसत्वरम् ॥२७॥तावहालोयथानीतस्त थातिष्ठतिनिर्भयः॥हवासमागतोत्राहंसकंपोजातीचमः॥२८॥इतित स्थवचा श्रुत्वाराजाविस्मितमानसः।।आजगामाशुतत्रैवयत्रवालःसमोदते॥ - For Private and Personal Use Only

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