Book Title: Ganeshvrat Katha
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Page 22
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Ima||संपातिःपाहतानसर्वान्के यूयंषनमागताः॥केनवाप्रेषिताःकार्यकि याचात्रप्रवर्तते॥११॥इतितस्यवचः श्रुत्वापानराजगदुःपुनः॥रामोदाशर थिनोमवयविष्णुर्जगत्पतिः॥१२॥ससीतालक्ष्मणसरचोदंडकारण्यमाय|| यो॥तत्रसीताहृताकेननेदवियोवयूसरखे॥१३॥ इतितस्यपाश्रुत्वासंपा तिःपाहबुद्धिमान्॥यूयंसरवायःसबैनोवयंरामस्यकिंकराः॥१४॥जानीमो जानकीयत्रयेननीतासतीयथा॥जटायुमैऽनुजोधातासीतार्थप्रागपंच कम्॥१५॥तत्याजरावणंबुख्यास्मृत्वारामपदांबुजम्॥ इनोविदूरेपायो |धिस्तत्पारेरक्षसांपुरी॥१६॥ शिंशपातमाश्रित्यतत्रसीतास्तिदृश्यता || म्॥रावणेनहतासीतामयाचाद्यापिदृश्यते॥१७॥वानरेषुचसर्वेषुहनुमा, For Private and Personal Use Only

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