Book Title: Ganeshvrat Katha
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गज कया. जा. श्रेष्ठोदत्ताशी:प्रययोवनम् "215 उपवेश्यमहाविष्णुंसंकष्टव्रतमुत्तमम्।।उप| |दिष्टंकतंतेनलोमशेनव्रतोत्तमम्॥२२॥तेनव्रतेनादेविजितोबाणासुरोरि |पुः॥महादेवेनमत्पित्रारक्षितोपिमहामृधे॥२३॥चिच्छेदबाहुदंडानांसह |स्त्रंकुपिताहरिः।।सतहतमभावननात्र कार्याविचारणा // 24 // श्रीगणेश तुष्ट्यर्थरुतविनोपशातये॥अनेनसदृशंनास्निकार्यसिद्धिकरंपरम् ॥२५॥नि दानंतीर्थयात्रायांराजतेपृथिवीतले॥ ॥श्रीकृष्णउवाच॥ ॥तस्माद्राज स्त्वयाकार्यमापहरणहेतुकम्॥ विजेष्यसिरणेशत्रून्राज्यंसर्वमृवाप्स्यसि // 26 ॥एतद्वतस्यमाात्म्यनशम्यवर्णितुंबुधैः।। अनुभूतंमयापार्थसत्यंसत्यंवदा म्यहम्॥२७॥ इतिश्रीस्कंदपुराणेआश्विनरुष्णसंकष्ट चतुर्थाव्रतकथासंपूर्णा // 3 // 5 5 For Private and Personal Use Only

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