Book Title: Ganeshvrat Katha
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आ. व्यायामनिरुद्धंददर्शसा॥७॥नहियोगेनसंतप्तासानलेभेसुखंकचित् चित्ररेखातदर्थचविलिरव्यभुवनत्रयम्॥८॥साचहत्यासरवींपाहपति दृष्टोमयानिशिअनिरुहुइतिख्यातोमयास्वविवाहितः॥९॥तमानयत्वं सुप्राणियेनकेनस्थलेनवा॥ अन्यथातुचमेमृत्युर्भवितात्रनसंशयः॥ चित्रलेखासरवीश्रुखागत्वाहारवंतीपुरीम्॥अनिरुईजहाराथदैत्य मायाविचक्षणा // 1 // वाणासुरपुरेनीतःसंध्याधेनुसमागमे॥प्रद्युम्नः पुत्रशोकेनतीव्रव्याधिपपीडितः॥१२॥नरुष्णोपिसुरवलेभेडस्वापुत्रतथा विधम्॥रुक्मिणीविललापाथपोत्रदुःरवेनपीडिता॥१३॥गत्वारुष्णाति केसाध्वीतमुवाचपरामुखी॥प्राणाधियोपिमेपोत्रकेननीतःववागतः 7 For Private and Personal Use Only

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