Book Title: Ganeshvrat Katha Author(s): Publisher: View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्॥२९॥दक्षिणांतुयथाशस्यादत्वापंचतुमोदकान्॥भक्षयेन्निशिचंद्रा यअर्घ्यदत्वाचभक्तितः॥३०॥ ॥अथतिथ्यर्थ्यम्॥ // तिथीनामुत्तमे देविगणेशप्रियवलो॥गृहाणत्वंमयादत्तंचतुर्थनमोस्तुते॥३१॥ // अथचंद्रार्ध्वम्॥ ॥क्षीरसागरसंभूतलक्ष्मीबंधोनिशाकर।गृहाणार्य मयादत्तंरोहिण्यासहितःशशिन्॥३२॥ लंबोदरनमस्तेस्तुसर्वकामफलप्रद ॥वांछित्तदेहिमेत्वंचसर्वविघ्रविनाशकृत्॥३॥ ॥विप्रप्रार्थना॥ ॥वि प्रपर्यनमस्तुभ्यंसाक्षाद्देवस्वरूपक॥गणेशमीनयेतुभ्यंमोदकान्चैददाम्यह मु॥३४॥ मोदकान्सकलान्यचदक्षिणाभिःसमन्वितान्॥आवयोस्तारणा यैवगृहाणेमान्नमोस्तुते॥३५॥ब्राह्मणाभोजयेत्पश्याद्गणेशंप्रार्थयेत्तदा For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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