Book Title: Ganeshvrat Katha
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गरेराजाभृत्यभावंसमागतः॥कस्मिंश्चिद्विषयेभार्याकस्मिंश्विद्विषयेसुतः ॥१७॥शिक्षाशिनस्तुतेसर्वेनानाव्याधिप्रपीडिताः॥स्वकर्मभोगान्भुजाना परस्परवियोगिनः॥१॥एकदादमयंतीसाशरशंगमहामुनिम्॥प्रणम्यपाद|| योर्मूर्धाबद्धांजलिरभाषत॥१९॥ ॥दमयंत्युवाच॥ ॥कथमेमपतिमा प्तिःपुत्रप्राप्तिःकथभवेत् ॥कथंगजहयाम्राज्यनगरंनरसंकुलम्॥२०॥क थंमेतादृशंभाग्यमुनेतद्वदनिश्चितम्॥ ॥गणेशउवाच॥ ॥इतितस्यवचाश्रुत्वाशरभंगोब्रवीद्वचः॥२१॥ ॥शरभंगउवाच॥ ॥दमयंनिशृणुवचोवक्ष्यामिहितकारकम्॥महासंकष्टशमनंसर्वकामप्रदंशुभम। ॥२२॥भाद्रमासस्ययाकृष्णाचतुर्थीसंकटातुसा॥ तस्यांपूज्योनरस्त्रीभि For Private and Personal Use Only

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