Book Title: Fool aur Parag
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 24
________________ बड़ा बनने का मूल मंत्र ११ __महात्मा ने प्रथम यूवक की ओर दृष्टि डाली। ''वत्स ! तुम भी तो उसी मार्ग से आये थे न ! तुमने भी तो उनको देखा होगा न ? फिर तुमने उनकी उपेक्षा क्यों की ?" युवक के पास इसका कोई उत्तर नहीं था । महात्मा ने दोनों युवकों को बड़ा बनने का मूलमंत्र बताते हुए कहा-“सेवा, सरलता, नम्रता, सहिष्णुता ही जीवन को पवित्र, निर्मल और महान् बनाती है, जितने भी महान् पुरुष हुए, वे इन्हीं सद्गुणों को धारण करने से हुए हैं। तुम्हें भी महान् बनने के लिए इन्हीं सद्गुणों को धारण करना होगा।" प्रथम युवक उदास था और द्वितीय युवक के चेहरे पर प्रसन्नता चमक रही थी। Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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