________________
फूल और पराग के चहचाने की आवाज आयो। वह ठगा सा खड़ा रह गया । वह आंख फाड़कर देखने लगा।
चोर वेशधारी विक्रम ने पूछा-क्या बात हो गई ? तुम्हारे चेहरे पर अकस्मात परिवर्तन कैसे आ गया ?
उसने कहा-राजन् ! मैं पक्षियों की बोली समझता हूं। चिड़िया ने कहा है कि चोर के साथ स्वयं राजा विक्रम है। मुझे पता नहीं था। मैंने अपने मित्र के यहां चोरी की, इसी का विचार है कि मैं मित्र द्रोही हो गया।
राजा ने कालूसिंह को गले लगा लिया। कालुसिंह तुम चोर होते हुए भी देवता हो । मैं तुम्हारे पर प्रसन्न हूं, तुम्हें मैं अपना प्रधानमंत्री बनाता हूँ। दोनों के आनन्दाथ छलक गये ।
Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org