Book Title: Fool aur Parag
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

Previous | Next

Page 128
________________ कसाई केवली बना ११५ अवधिज्ञानी आचार्य धर्मघोष ने कहा--यह कसाई मर कर नरक, तिर्यंच, मनुष्य और देवगति में नहीं, अपितु मोक्ष में जायेगा। कसाई और मोक्ष यह तो बिल्कुल ही असंभव है भगवन् ! हजारों प्राणियों को कतल करने वाला कसाई यदि मोक्ष में जायेगा तो फिर साधकों को क्या स्थिति होगी शिष्य ने आश्चर्य मिश्रित मुद्रा में कहा ! आचार्य-वत्स ! मोक्ष और बंध का कारण भाव है। भाव से कर्म बंध भी सकते हैं और छूट भी सकते हैं। शिष्य चिन्तन की गहराई में डुबको लगाता हुआ चल रहा था। उपाश्रय के सन्निकट आचार्य देव पहँचे ही थे कि आकाश में देवकुंदुभि के गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई दी ? शिष्य ने पूछा-भगवन् । यह देवदुदुभि की आवाज कहां से आ रही है। आचार्य-जिस कसाई के लिए मैंने कहा था यह मोक्ष में जायेगा, उसी कसाई को केवलज्ञान, केवल दर्शन उत्पन्न हुआ है। उसका देवगण दुदुभि बजाकर महोत्सव मना रहे हैं। भगवन् ! गाय को मारने की तैयारी करते हुए कसाई को यकायक केवलज्ञान कैसे हो गया ? शिष्य ने जिज्ञासा अभिव्यक्त की। ___आचार्य देव ने ज्ञान से देखकर कहा--कसाई तलवार से गाय को मारना चाहता था, उसने जोर से उस पर Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 126 127 128 129 130 131 132 133 134