Book Title: Fool aur Parag
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 126
________________ परिवर्तन ११३ नरेन्द्र कहां है ? रजनीकान्त ने सम्पूर्ण घटना विस्तार के साथ उसे बता दी । पुत्र की मृत्यु के समाचारों से प्रभा के हृदय को गहरा आघात लगा । वह बेहोश होकर गिर पड़ी । रजनीकान्त डाक्टर बुलाता है । डाक्टर ने आकर देखा - प्रभा को हार्ट का दौरा हुआ है । उसको नाड़ी की गति बन्द हो गई है । रजनीकान्त पर तो आपत्ति का पहाड़ ही टूट पड़ा । जिस पुत्र और पत्नी के लिए उसने कठिन श्रम कर धन कमाया, आज उसके सामने ही वे संसार से चल बसे । धन के लोभी रजनीकान्त को अपने पर ही घृणा होने लगी । उसे रह-रह कर प्रभा की बात याद आ रही थी । उसने कितनी बार उसे जन-जन के कल्याण के लिए सम्पत्ति अर्पण करने की बात कही थी । दान की प्रेरणा दी थी, परन्तु उसने कभी भी अपने मन से एक पैसा भी खर्च नहीं किया । उसकी अनुदार वृत्ति ने ही उसके पुत्र को मारा, और पत्नी को भी । उसने उसी समय अपना सारा धन, अनाथालय, चिकित्सालय, विद्यालय आदि जन कल्याण के लिए समर्पित कर दिया । और स्वयं सेवा के कार्य में जुट गया । Jain Education Internationa For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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