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बुद्धि का चमत्कार
श्रादि डालकर गर्म किया, एक मुन्न े को भेज कर हलवाई के वहां से मिठाई और नमकीन वस्तुएं मँगाई । वह स्वयं ही राजकुमार के सामने नास्ता लेकर आयी । उसके प्रेम भरे आग्रह को सम्मान देकर राजकुमार खाने लगा । मधु भी सामने बैठ गई । वार्तालाप से मधु को पता लगा कि राजकुमार की राजा से कुछ अनबन हो गई है और ये अनिल से उस सम्बन्ध में परामर्श करने आये हैं । अल्पाहार का कार्यक्रम पूर्ण हुआ । राजकुमार ने कहा" मेरा जी मचल रहा है, घबराहट बढ़ रही है ।" मधु अन्दर जाकर निम्बू की सिकंजी आदि लाती है तब तक राजकुमार जमीन पर लुढक पड़ा। मधु ने अनेक प्रयास किये, पर राजकुमार स्वस्थ न हुआ । वह सदा के लिए संसार से विदा हो चुका था । राजकुमार की यह अवस्था देख कर मधु के प्राण ही सूख गये । उसका शरीर पसीनें से तरबतर हो गया । उसके आँखों से आँसू चूने लगे । उसने विचारा - ऐसी कौनसी भयंकर भूल हो गई है जिसके कारण राजकुमार को प्रारण गवाने पड़े हैं । उसने सभी वस्तुओं को अच्छी तरह से देखा तब ज्ञात हुआ कि सायंकाल दूधवाली दूध देकर गई पर असावधानी से दूध का वर्तन न ढका गया जिससे उसमें कोई जहरीला जानवर गिर कर मर गया था । राजकुमार के लिए दूध गर्म करते समय बहुत ही शीघ्रता में उसे ध्यान न रहा । उसी समय अनिल ने आवाज दी- दरवाजा खोलो | उसने दरवाजा खोला । अनिल अन्दर आया । मधु ने
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