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बुद्धि का चमत्कार
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दिखाई दिया। गजब हो गया, हमने राजकुमार प्रदीप को मार दिया। राजा हमारे गुनाह को कभी भी बरदास्त नहीं करेगा। सभी मुसलमानों को बेरहमी से मरवा देगा। अल्लाताला ! अब क्या करें। तभी मुसलमानों के अगुआ ने कहा--"अनिल को बुलाओ, वही हमारे को मुश्किली से बचा सकता है। चालीस-पचास हजार रुपए तो खर्च होंगे, पर हमारा कार्य हो सकता है।
आठ-दस मुसलमान दौड़े हए अनिल के घर गये । उन्होंने दरवाजा खुलवाकर अनिल से सारी बात कही। __ अनिल-"राजकुमार की हत्या कर आप लोगों ने महान् जुल्म किया है । अब आप लोग किसी भी हालत में बच नहीं सकते :"
मुसलमानों ने एक लाख की थैली देने को कहा और कहा कि आप हमें बचा दीजिए । लाख रुपए की थैली लेकर अनिल मुसलमानों के साथ घटना स्थल पर आया। उसने मुसलमानों को कहा-"आप सभी यहीं रहें मेरे साथ किसी को भी आने की जरूरत नहीं है। यदि आवेंगे तो उसे प्राण दण्ड भोगना पड़ेगा। सभी भय से वहीं पर बैठ गये। अनिल राजकुमार की लाश को लेकर अंधकार में लुप्त हो गया । वह जंगल के रास्ते से चलकर सीधा ही राजमहल के नीचे जो बगीचा था वहां पहुंच गया। अभी प्रकाश नहीं हो पाया था । उसने इधर उधर देखकर वृक्ष पर रस्सी लगाई और उस रस्सी में राजकुमार को टांग कर भग गया।
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