Book Title: Epigraphia Indica Vol 02
Author(s): Jas Burgess
Publisher: Archaeological Survey of India

Previous | Next

Page 486
________________ CHITORG ADH INSCRIPTION OF MOKALA OP MEWAD. 419 L.43. रिसत्तमस्य नियते मुक्तस्य वाग्बंधनात् ॥१॥ यस्य प्रत्युप्तकर्मद्रवदखिलमहाधातुसंभारधारा पातक्ष्मातापशष्यालेविलविलसल्लोललाला फणींद्रः । व्याचष्टे स्पष्टमिष्टं ध्रुवमयमधुना भाष्यमाभाथ शिष्यं । स श्रीमतः प्वरस्ताज्जयति खगपतिर्मोकलेंद्रस्व कीर्तिः ॥२॥ सोढुं नेश: पयोधि: क्षणमपि वि44. रहं हारकानाथ(य)कस्य प्रेम्णा पादीपमूलं स्वयमुपगतवान्यत्तडागच्छलेन । नोदन्या कुंभयोनेरतिपततितरामंतरणेनमेष्यन् शापांते मे विदध्यादयमिति विनयाविध्य एवानयद्यं ॥६॥ विंध्यस्कंधेकबंधुनिजविततिभरादंधुतानीतसिंधु र्नीरक्रीडत्परंध्रिप्रसभकुचतटाघातसीदत्तरंगः । सतुष्यत्तीयजंतुर्विविधनगन45. दीवेगसंरोधतंतुः सन्तुर्नेतुरस्य स्फुरति वसुमतीसिवितुः सुकेतुः ॥१४॥ अमुष्य धरणीभूतो विषयमध्यवर्ती महादरीवृतवपुष्टया [वि वृतदूरगंभीरतः । म[हो]दर इवापरः परमनीनगम्यांतरः" पवित्रतरकीर्तनो जयति चित्रकूटाचलः ॥१५॥ जायतां नाम कामं कुलधरणिभृतः सप्त शंगौघतुंगा वैचित्या चित्रकूटं तुलयि46. तुमनलं तीर्थभूतप्रदेश । मा भूवनिरिण्यो मदुदितजनुषी नीचगामानशौंडः 1100 शृंगे यः क्षीरवारांनिधिमधिततरामुद्यदंभोजवासं ॥६६॥' उहामग्रावनियंभरभरकणिकाजातसेकातरेकनिह्यच्छालप्रवालप्रभवदुरुतराभोगसूनप्रसूतात् । मध्वासारादपारादुप[]तजनुषो दाववङ्गेर्निदाधे विष्वन्द्रींची वनानि प्रसभपरिभवं ने हशैले विदंति ॥६॥ एतस्मिन्मरिदस्ति निर्मलजला यस्यां निवापांजला वुन्मीलत्तिलजातपातकवलव्यग्राः शर्यश्चलाः । क्रीडासंभ्रमविस्मृतान्मुबहुशो मज्नबधूनामहो नेवाणीव विलोपिकज्जलकणांश्चेतुं स्फुरति स्फुटं ॥१८॥ Read नियतं. * Metre: Sardûlavikridita * Originally प्रत्युप्ति' was engrared. - Read °खविल° and °लाल:- Read पुरी " Resd कौवें:# Metre of verses 62-64: Sragdhart. - Read शापात. ** Read oftv. Is Read संतुष्य 25 Originally cafezig: was engraved. T Rend परममान ). 58 Metre: Prithvi. - Read भवनि. 100 This sign of punctuation is superflueu. 1 Metre of verses 66 and 67: Sragdhari. - Read °काविरकs Read विश्वद्रीची. • Metre: Bardflavikridita. 312

Loading...

Page Navigation
1 ... 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596