Book Title: Epigraphia Indica Vol 02
Author(s): Jas Burgess
Publisher: Archaeological Survey of India
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L28.
EPIGRAPHIA INDICA.
तमचलपतिदेहसंवाहपंक। उहिष्ट पांचवन्यं सुरसरिदमबखेदतोयोदयत्रीरित्येवं यस्य कीलें खयमकत नुति सोम----[२४."
-------सी विखोकीमालोक्य , 27.
संवीसनिवासमस्याः [.] वेधा पिलच स्तुतिमाततान तवास्ति नान्या सदमीति नूनं ॥२५[.] पसौ वीरो दान्तः सुचरितपरिमंदसुभगः ------ परिणवगिरा कोपि मुक्तती [1]
पूर्वेल.
.28
"29.
- अधखिलगुणविस्तारमधुरं नुनाव खच्छदं विमलमिव वाल्मीकिरसक्छत् ॥३॥[..] यदीयगुणवक्षनववशकौतुकोच्छेदया।
-------------- गमा। मनः किमिव रज्यते
नुचितवंदिभिर्वेधससदस्य कविमानिभिनं च चरिखमुद्योतते । ३७ [..] दिग्दंतावलकीतालविलसत्तत्कुंभरंगांगरे यत्वोत्तिकदमत्त - - - - - - - - - नृत्यति[। .]
रोदकंदरपूरण, 30.
प्रणयिनी नि:शंकमामंभरिभिदंती तमसा कुलं कलिमलमध्वंसबहोत्सवा १८ [*]" खोकालीकालवाला जलनिधिसलिलासिता[मुखा वहती] [शंभोमविसंविधसिलगुणमये
रंकुरैः कीर्तिवली यस्य प्रालयभानुपविकचकुसुमोदारतारापरागैदिशक व्यापयंती जयति फणिपतिप्रांशमूला जगत्यां । [u.]"
-----सावित्रीलमीसौभाग्यदेव्याख्याः [*] , 82. एखानानक्रियाख्येया यहदीशस्य मतयः ॥ ४. [*]
ताभि वनवंद्याभिः संध्याभिरिव वासरः [1] [श्रीधरः योभते मखशोकव्याप्येकदीपकः ॥ ४१] ---[मालवतमाल]वनायमान
सिनागज,, 38. प्रकरभंगुरितां भुवं यः []
[भ]यः खिरा सपदि मंबवलेन वत्वा Metre, Sragdhara-चद्रदेवी रघुपविरचिवः सेतुबंधः प्रचाची। -[V.G.0.]बी:---सीमनाथी तिर- [V. G.0.]| भिगमान-[V.G.0.] Band "मरचीवते. -Metro UpajAti-(बत्तीर्णानामु) यसो (सि) विक्षीको [V..0.1
a Motre, Sirdalivitrdita-मच(पारपषिवावडंपदा).-. माची.-V.G.OJ Read विखच:
| Metre, Sragdhara * Metre, Bikhaript Metm Prithri---बम--बानी--बयवा
• Metre, Anushtubh (बसपा ) सापिया-[V.00)
" 81.
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