Book Title: Epigraphia Indica Vol 02
Author(s): Jas Burgess
Publisher: Archaeological Survey of India

Previous | Next

Page 507
________________ 440 EPIGRAPHIA INDICA. L.2. ----रनाथ: सुरनदी सरूपा विधाण: शिरसि गिरिजाक्षेपविषयः ॥२ [॥"] पुणातु स्फुरदधविश्वमभृतः कृष्णस्य वक्षस्थलघेखत्कौस्तुभकांतिभिः कवचिता लक्ष्मीकटाक्षावलिः । या संभोगभरालसा तनुत13. -- जन्यविन्यासभूर्दारिद्राद्रुमदावपावकशिखाकारानिशं व: श्रियं ॥३ [*] श्रीसोमनाथायतनस्य रेखा भूमरिवोहागुलिरत्र भाति । अनन्यसाधारणशोभमेतत्पुरं पुराररिति सूचयंती॥ ४ [*]' महीवदनपंकजंभुवन --भूषाविधिनिधिः सकलसंपदा त्रिपुरवैरिण: सम्मतं । तदेतदतिदुःसहक्षयविनाशसिद्धौ पुरा शशांकरचित पुर जयति वारिधः सविधौ। ५ [*] अस्ति स्वस्तिमदंबुजासननिभैरध्यासितं यज्वभिधूमध्यामलिता -लांवरतलं स्थानं बयोकेलिभूः । अभ्यर्थं हिजपुंगवाबगरमित्य.दुचडामणिः । प्रादादष्टकुलान्वयापरचतुःषध्यस्व तुष्टय च यत् ॥ [*]° शांडिल्याख्योदप्रवंधायकेतुर्गोत्रं ख्यातं नाम वस्त्राकुलं यत् । ऊया, 8. - हा देवयुस्तत्र जज्ञे दैवज्ञत्वं यस्य सान्वर्थमासीत् ॥ ७ [*]° यदीयाशीर्वादैरमरपतिकाप्पण्यजनक भुनक्ति स्मायत्तं निहतरिपु राज्यं चिरतरं । निहत्य मापालानणहिलपुर मूलनृपतिः प्रभुत्वं तत्पुवेष्ववत सुकृतार्थव्यवसितं ॥ ८ [*]" गंगाप्रवाह7. प्रतिमा बभूवुस्तस्यात्मजा माधवललभाभाः। ते मूलराजन पुरस्कृताच भगीरथेनेव यशोऽवतसाः ॥ [*]" वापीकूपतडागकुट्टिममठप्रासादसत्रालयान् सौवर्णध्वजतोरणपणेपुरग्रामप्रपामंडपान्। कीर्तिश्रीसुक्तप्रदावरप 5 Merre Sikharint- Restore देयात्परमसुरी-[V. G.0.2 'क्षेप-विषयां erroneously,-[V.G.0.] • Metre, Kardalavikridita. - Restore तनुवटे सौजन्य - [V. G.0 TMetre, Upajati.-Read योहागुपि. • Motre, Prithvi-Restore अपनवास-[V.G.0.] Metre, Sardulavikridita-Restore ध्यामलितामला| Dele stop after °चूडामचिः | Metre, Salint-Restore कयाभही;- या(वय erroneously -[V.G.O.. II Metre, Sikharint ] Metre, Upajati.-Dele Avagraha in यशीवतंसाः

Loading...

Page Navigation
1 ... 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596