Book Title: Epigraphia Indica Vol 02
Author(s): Jas Burgess
Publisher: Archaeological Survey of India
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EPIGRAPHIA INDICA. L.2.
----रनाथ: सुरनदी सरूपा विधाण: शिरसि गिरिजाक्षेपविषयः ॥२ [॥"] पुणातु स्फुरदधविश्वमभृतः कृष्णस्य वक्षस्थलघेखत्कौस्तुभकांतिभिः कवचिता लक्ष्मीकटाक्षावलिः ।
या संभोगभरालसा तनुत13.
-- जन्यविन्यासभूर्दारिद्राद्रुमदावपावकशिखाकारानिशं व: श्रियं ॥३ [*] श्रीसोमनाथायतनस्य रेखा भूमरिवोहागुलिरत्र भाति । अनन्यसाधारणशोभमेतत्पुरं पुराररिति सूचयंती॥ ४ [*]' महीवदनपंकजंभुवन
--भूषाविधिनिधिः सकलसंपदा त्रिपुरवैरिण: सम्मतं । तदेतदतिदुःसहक्षयविनाशसिद्धौ पुरा शशांकरचित पुर जयति वारिधः सविधौ। ५ [*] अस्ति स्वस्तिमदंबुजासननिभैरध्यासितं यज्वभिधूमध्यामलिता
-लांवरतलं स्थानं बयोकेलिभूः । अभ्यर्थं हिजपुंगवाबगरमित्य.दुचडामणिः । प्रादादष्टकुलान्वयापरचतुःषध्यस्व तुष्टय च यत् ॥ [*]° शांडिल्याख्योदप्रवंधायकेतुर्गोत्रं ख्यातं नाम वस्त्राकुलं यत् ।
ऊया, 8. - हा देवयुस्तत्र जज्ञे दैवज्ञत्वं यस्य सान्वर्थमासीत् ॥ ७ [*]°
यदीयाशीर्वादैरमरपतिकाप्पण्यजनक भुनक्ति स्मायत्तं निहतरिपु राज्यं चिरतरं । निहत्य मापालानणहिलपुर मूलनृपतिः प्रभुत्वं तत्पुवेष्ववत सुकृतार्थव्यवसितं ॥ ८ [*]" गंगाप्रवाह7. प्रतिमा बभूवुस्तस्यात्मजा माधवललभाभाः।
ते मूलराजन पुरस्कृताच भगीरथेनेव यशोऽवतसाः ॥ [*]" वापीकूपतडागकुट्टिममठप्रासादसत्रालयान् सौवर्णध्वजतोरणपणेपुरग्रामप्रपामंडपान्। कीर्तिश्रीसुक्तप्रदावरप
5 Merre Sikharint- Restore देयात्परमसुरी-[V. G.0.2 'क्षेप-विषयां erroneously,-[V.G.0.]
• Metre, Kardalavikridita. - Restore तनुवटे सौजन्य - [V. G.0
TMetre, Upajati.-Read योहागुपि. • Motre, Prithvi-Restore अपनवास-[V.G.0.]
Metre, Sardulavikridita-Restore ध्यामलितामला| Dele stop after °चूडामचिः | Metre, Salint-Restore कयाभही;- या(वय erroneously -[V.G.O..
II Metre, Sikharint ] Metre, Upajati.-Dele Avagraha in यशीवतंसाः
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