Book Title: Epigraphia Indica Vol 02
Author(s): Jas Burgess
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 508
________________ 441 SRIDHARA'S DEVAPATTANA PRASASTI. L.8. तः श्रीमूलराजस्त्रिभिस्तैरपासनिभैयंधापयदयं चौलुक्यचडामणिः ॥१. []" यद्यावास तुरंगमोडुरखुरक्षुबचमामंडलक्षोदच्छबदिगंतमंवरमभूदेकातपत्रावति । पाशाकुंजरकर्णकोटरतटीरप्यु चगंडोपलाभिंदान: पटहध्वनिः क्षितिधरवेणीषु वचाम च । ११ [*]" तस्मिन्भूभुजि नाकनायकसभामध्यासिते भूपतिः प्रत्यर्थिचितिपालशैलकुलिशचामुंडराजो ऽभवत् प्रीत्या ग्रामवरं ददौ निजपितुर्मिवा,, 10. य कन्हेबरं यः श्रीमाधवनामधेयकतिने ती महामविणे॥१२॥" यस्योत्तुंगतुरंगतांडवभवः पाशूकरः सैनिक: खःसीमासु महणाभयमहावप्रप्रकारोभवत् । शक्रेणासुर--कप्रशमनं दृष्ट्वातितुष्टा, 11. मना निःशंक निदधे शचीकुचतटे चेतश्चिरेण ध्रुवं ॥ १३ [*]" तस्यात्मजस्तदनु दुर्लभराजनामा यस्थारिराजमकरध्वजयंकराख्या। पृथीं वभार परिपंथि ----- ------णितभद्रपीठः ॥१४ [*]" तदनु तदनु जोभूदलभो भूर्भुवःस्वस्त्रितयपठितकीर्तिमूर्तिमहिक्रमबी:। यदरिनुपपुरेषु स्थलताफलांका मृगपतिपदपंक्तिलच्यते चत्वरेषु ॥ १५ [*]" बोणीचक्रकशके -------- -- पंखप्रतापप्रतिहतनि खिलारातिराजन्यसैन्यः । तस्मिन् देवांगनानाबिविडतरपरीरंभभाजि क्षितीये कर्णः कीर्थाभियाति वमत भुजे भोगियसरीण ॥१॥"]" , 12. , 13. ------ रभूजयसिंहदेवः । . यखबपाकMetre Bardolavikridita ---Readyfa:- (V. G..] Metro, Vasantatilakt--aftafefitefatetayfa fa 14 Metre Bardalavikridita.Read X -(V. G. 0.] Afar [V. G. O.), which is against the metro. बीतर' erroneously.-[V.G.0.] | "Motre, Malint-Read स्व मुनाफखांबा.-[V.G.0.] Metro, Bardalavikridita- Torroneously.--[V. G. Metro, Sragdhard.--V.G.. reads after wa0.] ----चंद्रकांत--01) Read बार -[V.G. MMetre, Eardalavitridita-प्रयासरगोष्टिक-[V.G.0.] | 0.]. The same corresots erromeously कौनिया. af to be read.

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