Book Title: Chhandonushasan
Author(s): Hemchandracharya, H C Bhayani
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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१. अरविंदक, २. विभ्रमविलसितवदन, ३. नवपुष्पंधय, ४. किन्नरमिथुनविलास, ५. विद्याधरलीला, ६. सारंग ।
जे अंतरसमा चतुष्पदीनां एकी चरणोमां बार मात्राओ होय अने बेकी चरणोमां तेर मात्राथी लईने एक एक मात्रा वधतां जतां सत्तर सुधीनी मात्राओ होय तेना पांच पेटाप्रकार छे । तेमनां नाम आ प्रमाणे छे :
१. कामिनीहास, २. अपदोहक, ३. प्रेमविलास, ४. कांचनमाला, ५. जलधरविलसित |
जे अंतरसमा चतुष्पदीनां एकी चरणोमां तेर मात्राओ होय अने बेकी चरणोमां चौद मात्राथी लईने एक एक मात्रा वधतां जतां सत्तर सुधीनी मात्राओ होय तेना चार पेटाप्रकार छे । तेमनां नाम आ प्रमाणे छे :
१. अभिनवमृगांकलेखा, २. सहकारकुसुममंजरी, ३. कामिनीक्रीडनक, ४. कामिनीकंकणहस्तक |
जे अंतरसमा चतुष्पदीनां एकी चरणोमां चौद मात्राओ होय अने बेकी चरणोमां पंदर मात्राथी लईने एक एक मात्रा वधतां जतां सत्तर सुधीनी मात्रा होय तेना त्रण पेटाप्रकार छे । तेमनां नाम आ प्रमाणे छे :
१. मुखपालनतिलक, २. वंसतलेखा, ३. मधुरालापिनीहस्त ।
जे अंतरसमा चतुष्पदीनां एकी चरणोमां पंदर मात्राओ होय अने बेकी चरणोमा सोळ के सत्तर मात्राओ होय तेना बे पेटाप्रकार छे । तेमनां नाम आ प्रमाणे छे :
१. मुखपंक्ति, २. कुसुमलतागृह ।
जे अंतरसमा चतुष्पदीनां एकी चरणोमां सोळ मात्राओ होय अने बेकी चरणोमां सत्तर मात्राओ होय तेनो एक पेटाप्रकार छे । तेनुं नाम रत्नमाला छे । आ प्रमाणे अंतरसमा चतुष्पदीना कुल पंचावन पेटा प्रकारो छे । (१९) तेमनां उदाहरणो नीचे प्रमाणे छे :
चंपककुसुम
जेनां एकी चरणोमां सात मात्रा छे, अने बेकी चरणोमां आठ मात्रा छे ते चंपककुसुम छंदनुं उदाहरण :
अंग - चंगिम, जइ गोरंगिहि । 'चंपककुसुम', ता कह अग्घहिं ॥ ४
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