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________________ [ 78 ] १. अरविंदक, २. विभ्रमविलसितवदन, ३. नवपुष्पंधय, ४. किन्नरमिथुनविलास, ५. विद्याधरलीला, ६. सारंग । जे अंतरसमा चतुष्पदीनां एकी चरणोमां बार मात्राओ होय अने बेकी चरणोमां तेर मात्राथी लईने एक एक मात्रा वधतां जतां सत्तर सुधीनी मात्राओ होय तेना पांच पेटाप्रकार छे । तेमनां नाम आ प्रमाणे छे : १. कामिनीहास, २. अपदोहक, ३. प्रेमविलास, ४. कांचनमाला, ५. जलधरविलसित | जे अंतरसमा चतुष्पदीनां एकी चरणोमां तेर मात्राओ होय अने बेकी चरणोमां चौद मात्राथी लईने एक एक मात्रा वधतां जतां सत्तर सुधीनी मात्राओ होय तेना चार पेटाप्रकार छे । तेमनां नाम आ प्रमाणे छे : १. अभिनवमृगांकलेखा, २. सहकारकुसुममंजरी, ३. कामिनीक्रीडनक, ४. कामिनीकंकणहस्तक | जे अंतरसमा चतुष्पदीनां एकी चरणोमां चौद मात्राओ होय अने बेकी चरणोमां पंदर मात्राथी लईने एक एक मात्रा वधतां जतां सत्तर सुधीनी मात्रा होय तेना त्रण पेटाप्रकार छे । तेमनां नाम आ प्रमाणे छे : १. मुखपालनतिलक, २. वंसतलेखा, ३. मधुरालापिनीहस्त । जे अंतरसमा चतुष्पदीनां एकी चरणोमां पंदर मात्राओ होय अने बेकी चरणोमा सोळ के सत्तर मात्राओ होय तेना बे पेटाप्रकार छे । तेमनां नाम आ प्रमाणे छे : १. मुखपंक्ति, २. कुसुमलतागृह । जे अंतरसमा चतुष्पदीनां एकी चरणोमां सोळ मात्राओ होय अने बेकी चरणोमां सत्तर मात्राओ होय तेनो एक पेटाप्रकार छे । तेनुं नाम रत्नमाला छे । आ प्रमाणे अंतरसमा चतुष्पदीना कुल पंचावन पेटा प्रकारो छे । (१९) तेमनां उदाहरणो नीचे प्रमाणे छे : चंपककुसुम जेनां एकी चरणोमां सात मात्रा छे, अने बेकी चरणोमां आठ मात्रा छे ते चंपककुसुम छंदनुं उदाहरण : अंग - चंगिम, जइ गोरंगिहि । 'चंपककुसुम', ता कह अग्घहिं ॥ ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001454
Book TitleChhandonushasan
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorH C Bhayani
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages204
LanguagePrakrit, Apabhramsha, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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