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________________ [ 77] तथा त्रीजुं अने चोथु चरण समान होय छे - एम अर्धा भाग सरखो होवाथी ते अर्धसमा, (३) जेमां समान अने असमान चरणोनुं मिश्रण होय छे ते संकीर्णा, (४) जेमां चारेय चरण एकसरखां होय छे ते सर्वसमा । (१८) अंतरसमा चतुष्पदीओ आ प्रमाणे छे : अंतरसमा चतुष्पदी : प्रकारो जे अंतरसमा चतुष्पदीनां एकी चरणोमां सात मात्राओ होय अने बेकी चरणोमां आठ मात्राथी लईने एक एक मात्रा वधतां जतां सत्तर सुधीनी मात्राओ होय, तेना दस पेटाप्रकार छे । तेमनां नाम आ प्रमाणे छे : १. चंपककुसुम, २. सामुद्गक, ३. मल्हणक, ४. सुभगविलास, ५. केसर, ६. रावणहस्तक, ७. सिंहविजूंभित, ८. मकरंदिका, ९. मधुकरविलसित, १०. चंपककुसुमावर्त ।। जे अंतरसमा चतुष्पदीनां एकी चरणोमां आठ मात्राओ होय अने बेकी चरणोमां नव मात्राथी लईने एक एक मात्रा वधतां जतां सत्तर सुधीनी मात्राओ होय तेना नव पेटाप्रकार छे । तेनां नाम आ प्रमाणे छ : १. मणिरत्नप्रभा, २. कुंकुमतिलक, ३. चंपकशेखर, ४. क्रीडनक, ५. बकुलामोद, ६. मन्मथतिलक, ७. मालाविलसित, ८. पुण्यामलक, ९. नवकुसुमित पल्लव. जे अंतरसमा चतुष्पदीनां एकी चरणोमां नव मात्राओ होय अने बेकी चरणोमां दस मात्राथी लईने एक एक मात्रा वधतां जतां सत्तर सुधीनी मात्राओ होय तेना आठ पेटाप्रकार छ । तेमनां नाम आ प्रमाणे छे : १. मलयमारुत, २. मदनावास, ३. मांगलिका, ४. अभिसारिका, ५. कुसुमनिरंतर, ६. मदनोदक, ७. चंद्रोद्योत, ८. रत्नावलि । जे अंतरसमा चतुष्पदीनां एकी चरणोमां दस मात्राओ होय अने बेकी चरणोमां अगियार मात्राथी लईने एक एक मात्रा वधतां जतां सत्तर सुधीनी मात्राओ होय तेना सात पेटाप्रकार छ । तेमनां नाम आ प्रमाणे छे : १. भ्रूवक्रणक, २. मुक्ताफलमाला, ३. कोकिलावली, ४. मधुकरवृन्द, ५. केतकीकुसुम, ६. नवविद्युन्माला, ७. त्रिवलीतरंग । जे अंतरसमा चतुष्पदीनां एकी चरणोमां अगियार मात्राओ होय अने बेकी चरणोमां बार मात्राथी लईने एक एक मात्रा वधतां जतां सत्तर सुधीनी मात्राओ होय तेना छ पेटाप्रकार छ । तेमनां नाम आ प्रमाणे छ : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001454
Book TitleChhandonushasan
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorH C Bhayani
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages204
LanguagePrakrit, Apabhramsha, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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