Book Title: Chhandonushasan
Author(s): Hemchandracharya, H C Bhayani
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 142
________________ [ 107] 'तारा शत्रुओनी स्त्रीओनी आंखोनी काजळरेखाथी मलिन बनेल, अने नींगळता आंसजळे धोवाई गयेल एवा अधर उपरना अळताना रसे, क्रोधे भराईने, ए स्त्रीओनी आंखोमां प्रवेश कर्यो छे ।' किलिकिंचित जेनां बेकी चरणोमां पंदर मात्रा छे अने एकी चरणोमां सत्तर मात्रा छे ते किलिकिंचित छंदनुं उदाहरण : तरुणी-'किलिकिंचिअ'इं विसट्टहिं, ससि-जोण्ह-समुज्जल रत्तडी । मल्लिअ-फुल्लई परिमल-सारइं, जउ तउ गय सग्गहु वत्तडी ॥११३ "तरुणीओ हास्य, भय, रोष, गर्व वगेरे भावो प्रगट करी रही छे, रात्री चांदनी वडे उज्ज्वळ छे, मल्लिकानां फूलोनी सुंदर सुगंध प्रसरे छे : ज्यारे आq होय त्यारे स्वर्गनी वात ज निरर्थक छे ।' ___ नोंध :- आ प्रमाणे जेनां बेकी चरणोमां पंदर मात्रा छे तेवा पेटाप्रकारोनां बे उदाहरण थयां । हवे जेनां बेकी चरणोमां सोळ मात्रा छे तेवा पेटाप्रकारनुं उदाहरण : शशिबिंबित जेनां बेकी चरणोमां सोळ मात्रा छे अने एकी चरणोमां सत्तर मात्रा छे ते शशिबिंबित छंद- उदाहरण : तुह मुहु लायण्ण-तरंगिणीए, झलकंतर कंति-करंबिअउं । सोहइ निम्मल-वट्टल-मंडलु, जल-मज्झि नाइ ससि बिंबिअउ ॥ ११८ ___ 'तारुं तेजे मढेलुं वदन लावण्यनी सरितामां झळहळतुं एवं शोभे छे, जेवू निर्मळ अने वर्तुळ चंद्रमंडळ जळमां प्रतिबिंबित थयुं होय ।' नोंध :- आ प्रमाणे एक प्रकारचें उदाहरण थयुं । आ रीते चतुष्पदीना पंचावन प्रकार छ । आ प्रमाणे बंने विभागो मळीने अंतरसमा चतुष्पदीना एक सो दस प्रकार छ । ते 'वस्तुक' पण कहेवाय छे । अर्धसमा चतुष्पदी ___ अंतरसमा चतुष्पदीना बीजा अने त्रीजा चरणने उलटाववाथी अर्धसमा चतुष्पदी बने छ । एना पण एक सो दस प्रकार छे अने तेमनां नाम पण 'चंपककुसुम' वगेरे छे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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