Book Title: Chhandonushasan
Author(s): Hemchandracharya, H C Bhayani
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
View full book text ________________
लृदौ सिंहपदम् ॥ ५१ तद्दीर्घकं ढजैः ॥ ५२ षचुः कलकण्ठीरुतम् ॥ ५३
षाचूदाः शतपत्रम् ॥ ५४
[ 145 ]
लृतावतिदीर्घं ढजैः ॥ ५५
षाचूता मत्तमातङ्गविजृम्भितम् ॥ ५६
चत्वारिंशत्कला एकद्वयधिका वा मालाध्रुवकम् ॥ ६७
चौ विजया ॥ ५८
पो रेवका ॥ ५९
षो गणद्विपदी ॥ ६० चतौ स्वराद्विपदी ॥ ६१
पदावप्सराः ॥ ६२ अष्टौ कला वसुद्विपदी ॥ ६३ चौ करिमकरमुजा ॥ ६४ चलदलाश्चन्द्रलेखा ॥ ६५ पतौ मदनविलसिता ॥ ६६ चपौ जम्भेट्टिका ॥ ६७
पचौ लवली ॥ ६८
सप्त कला दलौ चामरपुरसुन्दरी ॥ ६९ चौ काञ्चनलेखा ॥ ७०
पौ चारुः ॥ ७१
तषताः पुष्पमाला ॥ ७२ गाथात्रानुक्तम् ॥ ७३
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204