Book Title: Chhandonushasan
Author(s): Hemchandracharya, H C Bhayani
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 178
________________ [ 143 ] चचाश्चिदौ वा गन्धोदकधारा ॥ २९ चितौ षचपा वा पारणकम् ॥ ३० ची: पद्धडिका ॥ ३१ चिपौ षचाता वा रगडाध्रुवकम् ॥ ३२ द्विपदी ॥ १ दाचदालदाचदालि कर्पूरो णैः ॥ २ सोऽन्त्यलोनः कुङ्गमः ॥ ३ चृ लयः ॥ ४ स भ्रमरपदं ञजैः ॥ ५ सातमो अध्याय (द्विपदी - वर्णन ) षचुदा उपात् ॥ ६ चूपौ गरुडपदम् ॥ ७ षचुता उपात् ॥ ८ दौ हरिणीकुलं ठजैः ॥ ९ तद्गीतिसमं अजैः ॥ १० षुर्भ्रमररुतम् ॥ ११ षश्चर्हरिणीपदम् ॥ १२ षीचताः कमलाकरम् ॥ १३ चृतौ कुङ्कुमतिलकावली ॥ १४ ते रत्नकण्ठिके ठजैः ॥ १५ षचुपाः शिखा ॥ १६ चृतौ छड्डुणिका अजै: ॥ १७ चूः स्कन्दकसमम् ॥ १८ तत् मौत्तकदाम ठजैः ॥ १९ नवकदलीपत्रं ढजैः ॥ २० षचूदैः कृतेष्वेषु स्त्रीत्वम् ॥ २१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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