Book Title: Chhandonushasan
Author(s): Hemchandracharya, H C Bhayani
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
View full book text
________________
[146]
टिप्पण प्रा. वेलणकरे घणा परिश्रमपूर्वक 'छंदोनुशासन'नो पाठ संपादित करेल छ । तो पण जे केटलेक स्थाने व्याकरण, अर्थ के छन्दनी दृष्टिए शुद्धि करवी मने जरूरी लागी छे तेवां स्थानो अने सुधाराओ टिप्पणमां आ दर्शाव्यां छे । क्वचित् साहित्यमांथी समान भाव के विचारवाळा, पद्य प्रत्ये, अथवा तो पुरोगामीमांथी अपनावेल उदाहरण प्रत्ये पण वाचकोनुं ध्यान खेंच्यु छ ।
द्विभंगीनां उदाहरणोनी चर्चा १. 'छंदोनुशासन'मां हेमचंद्राचार्ये सामान्य रीते स्वरचित उदाहरणो आप्यां छ । ज्यां कोई पूर्ववर्ती ग्रंथना उदाहरणनो उपयोग कर्यो छे, त्यां पण उदाहरणमां छंदनुं नाम गूंथवार्नु होवाथी तेमणे जरूरी फेरफार कर्या छ । पण केटलीक वार कोई पूर्ववर्ती स्रोतमांथी उदाहरण उद्धृत करेल छे । जेम के चोथा अध्यायना ८७मा सूत्र नीचे विविध छंदोना संयोजनथी थती द्विभंगीओ तरीके (१) गाथा + भद्रिका, (२) वस्तुवदनक + कर्पूर, (३) वस्तुवदनक + कुंकुम, (४) रासावलय + कपूर, (५) रासावलयक + कुंकुम, (६) वस्तुवदनक अने रासावलयनुं मिश्रण + कर्पूर, (७) वस्तुवदनक अने रासावलय, मिश्रण + कुंकुम, (८) रासावलय ने वस्तुवदनक, मिश्रण + कर्पूर, (९) रासावलय अने वस्तुवदनकनुं मिश्रण + कुंकुम, (१०) वदनक + कपूर, (११) वदनक + कुंकुम - एटला छंदप्रकारोनां उदाहरण संभवतः कोई पूर्ववर्ती छंदोग्रंथमांथी लीधेलां छे । अहीं आपेला क्रमांक प्रमाणे तेमनो क्रमांक ४.१२६ थी १३६ छ । ए उदाहरणोमांथी आठ उदाहरण 'कविदर्पण'मां पण मळे छ । कविदर्पणकारे 'छंदोनुशासन'मांथी ते लीधां होय एवो प्रबळ संभव छे, केम के केटलेक स्थळे तेणे 'सिद्धहेम'ना प्राकृत विभागमांथी प्रयोगना समर्थन माटे उद्धरण आप्यां छे। जो के थोडाक पाठ भिन्न छ । रासावलय अने कर्पूरनी द्विभंगीना उदाहरणनो (क्रमांक १२९) पाठ नीचे प्रमाणे छे :
परहुअ-पंचम-सवण-सभय मन्नउं स किर तिभणि भणइ न किं पि मुद्ध कलहंस-गिर । चंदु न दिक्खण सक्कइ जं सा ससि-वयणि दप्पणि मुहु न पलोअइ तिंभणि मय-नयणि ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org