Book Title: Chhandonushasan
Author(s): Hemchandracharya, H C Bhayani
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 179
________________ [ 144] पावामायकम् ॥ २२ तत्काञ्चीदाम अजैः ॥ २३ रसनादाम ठजैः ॥ २४ चूडामणिढजैः । २५ षचूतैः कृतान्यायामकादीन्युपात् ॥ २६ चूदौ स्वप्नकम् ॥ २७ तद् भुजङ्गविक्रान्तं ठजैः ॥ २८ ताराध्रुवकं ढजैः ॥ २९ नवरङ्गकं तजैः ॥ ३० षिश्चीः स्थविरासनकम् ॥ ३१ घृषौ सुभगम् ॥ ३२ षचीषचदाः पवनध्रुवकं ढजैः ॥ ३३ षचाचिदाः कुमुदं अजै ॥ ३४ तभाराक्रान्तं ठजैः ॥ ३५ चूतौ कन्दोट्टम् ॥ ३६ षाचुता भ्रमरद्रुतं अजैः ॥ ३७ तत्सुरक्रीडितं ठजैः ॥ ३८ सिंहविक्रान्तं ढजैः ॥ ३९ कुङ्कमकेसरं तजैः ॥ ४० च्लु बालभुजङ्गमललितम् ॥ ४१ षिचीदा उपगन्धर्वं ठजैः ॥ ४२ तत्सङ्गीतं ढजैः ॥ ४३ उपगीतं तजैः ॥ ४४ चुपौ गोन्दलम् ॥ ४५ षचूता रथ्यावर्णकं ठजैः ॥ ४६ तच्चच्चरी ढजैः ॥ ४७ अभिनवं तजैः ॥ ४८ चूषचताश्चलम् ॥ ४९ चूषौ चावमृतम् ॥ ५० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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