Book Title: Chhandonushasan
Author(s): Hemchandracharya, H C Bhayani
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 168
________________ [ 1331 चंद्रलेखा जेना प्रत्येक चरणमां एक चतुष्कल, एक लघु, एक द्विकल अने एक लघु ए प्रमाणे आठ मात्रा होय, ते द्विपदीनुं नाम चंद्रलेखा । चंद्रलेखा द्विपदी, उदाहरण : नव-'चंद लेह', जिवँ मुद्ध एह ॥ ६५ ‘ए मुग्धा, उदय पामेली चंद्रलेखा जेवी शोभे छ ।' मदनविलसिता जेना प्रत्येक चरणमां एक पंचकल अने एक त्रिकल ए प्रमाणे आठ मात्रा होय, ते द्विपदीनुं नाम मदनविलसिता । ___ मदनविलसिता द्विपदीनुं उदाहरण : 'मयण-विलसिअं', पाव-ववसिअं ॥६६ 'मदनने वश थईने विलास करवो ए पापमय व्यवहार छे ।' जंभेट्टिका जेना प्रत्येक चरणमां एक चतुष्कल अने एक पंचकल ए प्रमाणे नव मात्राओ होय, ते द्विपदीनुं नाम जंभेट्टिका । जंभेट्टिका द्विपदी- उदाहरण : सा तसु बेट्टिआ, सुट्ट 'जं भेट्टिआ' ॥ ६७ 'जेने ते सारी रीते भेट्यो, ते तेनी बेटी छे ।' लवली __जेना प्रत्येक चरणमां एक पंचकल अने एक चतुष्कल ए प्रमाणे नव मात्राओ होय, ते द्विपदीनुं नाम लवली । लवली द्विपदी, उदाहरण : उअ वणावलिआ, फुल्लिअ-'लवलिआ' ॥ ६८ 'जेमां लवली लता खीली छे, तेवी आ वनराजी तुं जो ।' अमरपुरसुंदरी जेना प्रत्येक चरणमां एक सप्तकल, एक द्विकल अने एक लघु ए प्रमाणे दस मात्राओ होय, ते द्विपदीनुं नाम अमरपुरसुंदरी । अमरपुरसुंदरी द्विपदीनुं उदाहरण : 'अमरपुर-सुंदरिहिं', भड वरिअ सयंवरिहिं ॥ ६९। 'स्वर्गनी सुंदरीओए सुभटोने स्वयंवरमां वर्या ।' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204