Book Title: Chhandonushasan
Author(s): Hemchandracharya, H C Bhayani
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 116
________________ [81] चंपककुसुमावर्त जेनां एकी चरणोमां सात मात्रा छे अने बेकी चरणोमां सत्तर मात्रा छे तेवा चंपककुसुमावर्त छंदनुं उदाहरण : निअइ झुणइ, परिरंभइ चुंबई महु-सुंडउ । अलि मुज्झइ, 'चंपयकुसुमावट्टि' निबुड्डउ ॥ १३ _ 'चंपाना फूलना वमळमां डूबेलो भ्रमर गुंजारव करे छे, रसमत्त बनेलो तेने जोया करे छे, चूमे छे, मुग्ध बनेलो तेने भेटे छे । नोंध :- आ प्रमाणे पहेला दस पेटाप्रकारनां उदाहरण थयां । मणिरत्नप्रभा जेनां एकी चरणोमां आठ मात्रा छे अने बेकी चरणोमां नव मात्रा छे ते मणिरत्नप्रभा छंदनुं उदाहरण : 'मणिरयणपहा'-, पयडिअ-गिरि-गुहु । साहइ भरहु, सयलु-वि दिसि-मुहु ॥ १४ "जेमां मणिरत्नना प्रकाशथी गिरिगुफाओने प्रकाशित करतो भरत(चक्रवर्ती) समग्र दिग्विजय सिद्ध करे छे ।' कुंकुमतिलक जेनां एकी चरणोमां आठ मात्रा अने बेकी चरणोमां दस मात्रा छे तेवा कुंकुमतिलक छंद- उदाहरण : रेहड़ चंदो, नव-पयडिअ-कलओ। पुव्व-दिसाए, किर 'कुंकुम-तिलओ' ॥ १५ ___ 'नूतन कलाने प्रकट करतो चंद्र जाणे के पूर्व दिशानुं कुंकुमतिलक होय तेवो शोभे छे ।' चंपकशेखर जेनां एकी चरणोमां आठ मात्रा छे अने बेकी चरणोमां अगियार मात्रा छे तेवा चंपकशेखर छंदनुं उदाहरण । अलि-रव-गीई, कय-'चंपय-सेहर', महु-समय-सिरी, उअ जणहु मणोहर ॥ १६ 'जेमां भ्रमरोनां गीतगुंजन रूपी गीत गवाय छे अने जेणे चंपानां फूलनो। मुकुट पहेरेलो छे तेवी लोकोने मनहर वसंतलक्ष्मीने तुं जो ।' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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