Book Title: Chhandonushasan
Author(s): Hemchandracharya, H C Bhayani
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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[79]
'ए गौरांगीना अंगनी सुंदरता पासे चंपककुसुम कई रीते शोभे ?'
सामुद्गक
जेनां एकी चरणोमां सात मात्रा छे अने बेकी चरणोमां नव मात्रा छे ते सामुद्गक छंदनुं उदाहरण :
जड़ बोल, धण उक्कंठि ।
'सा मुद्दउ', मुहु कलयंठि ॥ ५
'ज्यारे ए उत्कंठित विरहिणी बोलती होय त्यारे कोकिलाए पोतानुं मों बंध राखवुं जोईए' ।
मल्हणक
जेनां एकी चरणोमां सात मात्रा छे अने बेकी चरणोमां दस मात्रा छे ते मल्हणक छंदनुं उदाहरण :
कहिं हंसिहिं, तल्लोव्वेल्लणउं ।
दीस, गउ तहि 'मल्हणउं' ॥ ६
'ए सुंदरीनी मलपती गति पासे तळावमां रमती (टळवळती) हंसी शी विसातमां ?"
सुभगविलास
जेनां एकी चरणोमां सात मात्रा छे अंते बेकी चरणोमां अगियार मात्रा छे तेवा सुभगविलास छंदनुं उदाहरण :
पइं विणु तहि, 'सुहय विलासु' कवणु । मुहु जामिणिहि कृवणु ॥ ७
विणु चंद,
'हे सुभग, तारा विना एनो विलास केवो ? चंद्र विना निशानुं मुख कृपण (दयामणुं ) ज दीसे ।'
केसर
जेनां एकी चरणोमां सात मात्राओ छे अने बेकी चरणोमां बार मात्रा छे ते केसर छंदनुं उदाहरण :
मेल्लि माणु, वल्लहि करि अणुराउ ।
ओ उड्डिउ, 'केसर' - कुसुम - पराउ ॥ ८
'हे सुंदरी तुं मान मूकी दईने तारा वालम प्रत्ये अनुराग व्यक्त कर । जो बोरसलीना पुष्पनो पराग ऊडी रह्यो छे ।'
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