Book Title: Chhandonushasan
Author(s): Hemchandracharya, H C Bhayani
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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[97]
'उपवनमां नागकेसर एवो खील्यो छे, जाणे वसंते वनश्रीने भेट करेलो
शेखर !'
नवचंपकमाला
जेनां बेकी चरणोमां आठ मात्रा छे अने एकी चरणोमां चौद मात्रा छे ते नवचंपकमाला छंदनुं उदाहरण :
तणु 'नवचंपयमाल' जिण, कर-कम कमल । सहि तुहुं माहव - लच्छि तिण, परिमल बहल ॥ ७४
'तारुं शरीर विकसेला चंपानां फूलोनी माळा जेवुं छे, तारा हाथपग कमळ जेवा छे, तेथी हे सखी, तुं भरपूर सुगंधवाळी वसंतलक्ष्मी जेवी छे ।'
विद्याधर
जेनां बेकी चरणोमां आठ मात्रा छे अने एकी चरणोमां पंदर मात्रा छे ते विद्याधर छंदनुं उदाहरण :
मुहि करिवि मयलंछणु गुलिअ, गुलिआ - सिद्धिं । 'विज्जाहरि'ण जिवँ वम्महिण, जगु जिउ बुद्धिं ॥ ७५
'मृगलांछन ( चंद्र) रूपी गुटिका मोढामां राखीने जेणे गुटिकासिद्धि प्राप्त करी छे तेवा विद्याधर जेवा जाग्रत थयेला कामदेवे जगतने जीती लीधुं ।' कुब्जककुसुम
जेनां बेकी चरणोमां आठ मात्रा छे अने एकी चरणोमां सोळ मात्रा छे ते कुब्जककुसुम छंदनुं उदाहरण :
पेच्छंतहुं नवमालइ ललिअ,
परिमल - असम ।
भरहुं कि मणु रंजहि णवरि, 'कुज्जय-कुसुम' ॥ ७६ 'असाधारण परिमलवाळी नवविकसित सुंदर मालतीने जोतां भमराओनां मननुं शुं करीने कुब्जकनुं फूल रंजन करी शके ?'
कुसुमास्तरण
जेनां बेकी चरणोमां आठ मात्रा छे अने एकी चरणोमां सत्तर मात्रा छे ते कुसुमास्तरण छंदनुं उदाहरण :
मलयानिलु मलयज-रसु ससहरु, 'कुसुमत्थरणु' ।
विरहानल - जलिअहि तसु सव्वु-वि, तणु-संतवणु ॥ ७७
'मलयपवन, चंदनना रस, चंद्र, पुष्पशय्या ए बधुं, जे विरहाग्निथी बळती होय, तेना शरीरने ऊलटो संताप जन्मावे ।'
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