Book Title: Charitra Chakravarti Author(s): Sumeruchand Diwakar Shastri Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha View full book textPage 9
________________ आचार्य श्री निमित्त, दोहला एवं ज्योतिष विज्ञान की दृष्टि में आचार्य श्री निमित्त विज्ञान की दृष्टि में : निमित्त शास्त्र के जानने वालों का ऐसा मत है कि जिस व्यक्ति के शरीर में सर्प चढ़कर लीला करे और उस व्यक्ति को बाल-बाल छोड़ दे, वह व्यक्ति संसार में महापुरूष होगा, महा पराक्रमी होगा, अलौकिक कार्य कर संसार का उद्धार करेगा। महर्षि शांति सागर के शरीर पर भी ५ बार सर्प चढ़ने का उल्लेख व देखने का मौका मिला है। कभी-कभी तो दो-दो घंटे तक सर्प शरीर में अपनी लीला करता रहा, परंतु न तपोनिधि शांतिसागर विचलित हुए और न ही वह ही कुछ विक्षुब्ध हुआ। वस्तुत: यह बात आचार्य श्री शांतिसागर के अलौकिक महापुरूषत्वको प्रकट करती है। - आचार्य श्री शांतिसागर महामुनि का चरित्र का आद्य वक्तव्य लेखक: महान उद्योगपति व तत्त्वेत्ता सेठ श्री रावजी सखाराम दोशी पृष्ठ १ सन् १९३४,सवत् १९९० आचार्य श्री दोहला विज्ञान की दृष्टि में : आचार्य श्री की भव्य भवितव्यता को दर्शाने वाला दोहला उनके गर्भ काल में माता को आया था। मुनिवर्य वर्द्धमानसागरजी जो कि आचार्य श्री के बड़े भाई थे ने बतलाया कि आचार्य श्री के गर्भ में आने पर माता को दोहला हुआ था कि एक सौ आठ सहस्रदल वाले कमलों से जिनेन्द्र भगवान की पूजा करूं। उस समय पता लगाया गया कि कहाँ ऐसे कमल मिलेंगे। कोल्हापुर के समीप तालाब से वे कमल विशेष प्रबंध तथा व्यय द्वारा लाये गये और भगवान् की बड़ी भक्तिपूर्वक पूजा की गई थी। - चारित्र चक्रवर्ती (संस्करण १६६७), लोक स्मृति पृष्ठ २२ आचार्य श्रीज्योतिष विज्ञान की दृष्टि में : एक बार एक उच्चकोटि के ज्योतिषशास्त्र के विद्वान को आचार्य महाराज की जन्मकुण्डली दिखाई थी। जिसे देखकर उन्होंने कहा था कि जिस व्यक्ति की यह कुण्डली है, उसके पास तिलतुष मात्र भी संपत्ति नहीं होना चाहिए, किन्तु उसकी सेवा करने वाले लखपति, करोड़पति होना चाहिये। उन्होंने यह भी कहा था कि उनकी शारीरिक शक्ति गजब की होना चाहिये। बुद्धि बहुत तीव बताई थी और उन्हें महान् तत्त्वज्ञानीभी बताया था। - चारित्र चक्रवर्ती (संस्करण १६६७), प्रभावना, पृष्ठ १६१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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