Book Title: Char Tirthankar
Author(s): Sukhlal Sanghavi, Shobhachad Bharilla, Bhavarmal Singhi, Sagarmal Jain, Dalsukh Malvania
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 8
________________ भगवान् ऋषभदेव और उनका परिवार भगवान् पार्श्वनाथ और महावीर के विषय में तो इतिहास की गति स्पष्ट है। भगवान् नेमिनाथ तक भी इतिहास की कुछ किरणें पहुंची हैं, किन्तु भगवान् ऋषभदेव के बारे में बात इससे बिल्कुल उल्टी है। ऋषभदेव का काल जैन शास्त्रों की मान्यता के अनुसार लाखों और करोड़ों वर्ष पहले का काल है। उस समय के इतिहास की बातें आज मिलें, यह सम्भव भी नहीं है। उस अति प्राचीन समय के पुरुष के विषय में हम जो कुछ भी पढ़ते हैं, सुनते हैं और विचार करते हैं वह सब जनश्रुति और कुछ शास्त्र-परंपरा के आधार पर रचे हुए चरित्रग्रंथों में से ही। इन चरित्रग्रंथों में ऐतिहासिक काल के पहले के व्यक्तियों के विषय में लिखा हुआ सब कुछ अप्रामाणिक और त्याज्य है ऐसा नहीं कहा जा सकता, उसी तरह यह भी नहीं माना जा सकता कि वे सभी अक्षरशः सत्य हैं। ऐसी अनिश्चित स्थिति होते हुए भी मैं भगवान् ऋषभदेव जैसे अति प्राचीन पुरुष और उनके परिवार के बारे में कुछ लिखना चाहता हूँ-सो किन्हीं खास दृष्टि-बिन्दुओं को लेकर । दृष्टिबिन्दु पहला दृष्टिबिन्दु तो यह है कि ऋषभदेव और अन्य तीर्थंकरों की पूजा-प्रतिष्ठा और उपासना के क्षेत्र में क्या अन्तर है, यह बतलाना और उसके द्वारा अन्य तीर्थंकरों की अपेक्षा ऋषभदेव का स्थान कितना व्यापक है और यह किसलिए, यह सूचित करना। मेरा दूसरा और मुख्य दृष्टिबिन्दु यह है कि भूतकाल का वर्तमान काल के साथ सम्बन्ध बाँधना और भविष्य के निर्माण में उसका विवेकपूर्वक उपयोग करना। इसी बात को कुछ अधिक स्पष्ट प्रचलित रीति से बतलाना हो तो यह भी कहा जा सकता है कि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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