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( ९३ ) ॥ श्री नमिनाथजिन स्तुति ॥
॥ श्रावण मुदी दिन पंचमी ए॥ ए देशी ॥ ॥श्री नमीनाथ सेाहामणा ए, तीर्थपति मुलतान तो ॥ वि. श्वंभर अरिहा प्रभु ए, वीतराग भगवानतो ॥ रत्नत्रयी जस ऊजही ए, भांखे षद्रव्य शान तो ॥ भृकुटी सर गंधारिका ए, वीर हृदय बहुमान तो ॥१॥ इति
॥ अथ श्री पांचज्ञाननो स्तुति ॥
॥ श्री मतिज्ञाननी स्तुति ॥ ॥ श्री शंखेश्वर पास जिनेसर ॥ ए देशी ।। ॥ श्री मतिज्ञाननी तत्व भेदयी, पर्यायें करी व्याख्या जो।। चगवह द्रव्यादिकने जाणे, आदेश करी दाख्या जी ॥ माने वस्तु धर्म अनंता, नहीं अज्ञान विवक्षा जी ॥ ते मतिज्ञानने वंदो पूनो, विजयलक्ष्मी गुण कांक्षा जी ॥ १ ॥ इति ॥....
॥ श्री श्रुतज्ञाननी स्तुति ॥ ॥ गोयम बोले ग्रंथ संभाली ॥ ए देशी ॥ ॥ त्रिगडे वेशी श्री मिन भाण, बोले भाषा अमीय समाण, मत अनेकांत प्रमाण ॥ अरिहंत शासन सफरी मुखाण, चउ अ
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