Book Title: Chaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 02
Author(s): Shivnath Lumbaji
Publisher: Porwal and Company
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
Achana
( २२५) ॥त्रीजु तिविहार- पञ्चरूखाण ॥ ॥ दिवसचरिमं पञ्चरकाइ॥ तिविहपि आहारं, असणं, खाइम, साइम, अन्नध्यणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारणं वोसिरे ॥ इति तिविहार- ॥ ३ ॥
॥ चोथु दुविहार- पञ्चरखाण ॥ ॥ दिवस चम्मिं पञ्चख्खाइ ।। दुविहंपि आहारं, असणं, खाइमं, अनथ्यणाभांगेणं, सहसागारेणं, महत्तगगारेणं, सध्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरे इति ॥ ४ ॥ ॥ पांचमु जे नियम धारे तेने देशावगासियर्नु पञ्चख्खाण कर,
तेनो पाठ ॥ देसावगासि उवभेगं परिभोगं पञ्चख्खाइ ॥ अनथ्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवचियागारेणं बोसिरे ॥५॥
श्री रत्नाकर पच्चीशीना
गुजराती अनुवादना काव्यो.
॥हरिगित छंदनो चाल उपर ॥ मंदिर छो मुक्तितणी मांगल्य क्रिडाना प्रभु । ने इन्द्र नर ने देवता सेवा करे तारी विभु ॥ सर्वज्ञ छो स्वामी बळी शिरदार अतिशय सर्वना । घणुं जीव तुं घणु जीव तुं भंडार ज्ञान कळा तणा ॥१॥
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242