Book Title: Chaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 02
Author(s): Shivnath Lumbaji
Publisher: Porwal and Company
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(२२३)
पाणं, खाइम, साइमं, अन्नत्यणाभोगेणं, सहसागारेणं, पारिठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सबसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरे॥इति॥ चउविहार उपवास- ॥ ७॥
॥ आठमुं तिविहार उपवासद् ॥ मरेउग्गए, अप्मत्तठं पञ्चरकाइ ॥ तिविहंपि आहारं, असणं, खाइम, साइमं, अन्नत्थणामोगेणं, सहसागारेण, पारिठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं ॥ पाणहार पोरिसिं, साढपोरिसिं, मुठिसहिअं, पञ्चरकाइ ॥ उग्गए सूरे पुरिमई, अवडु, पच्चरकाइ ॥ अन्नत्यणाभोगेणं, सहसागारेणं, पच्छन्नकालेणं, दिसा. मोहेणं, साहुवयणेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं ॥ पाणस्स लेवेण वा, अलेवेण वा, अत्थेण वा, बहुलेवेण वा, ससिस्थेण वा असित्येण वा, बोसिरै ॥ इति तिविहार उपवासनु पच्चरकाण ।। ८॥ ॥ नवमु चउत्थ छठ भत्तादिकनुं पच्चख्खाण
आवी रीते कहेवू ॥ सूरे उग्गए चउत्थभत्तं अभत्तठं पच्चख्खाइ. सूरे उग्गए छठभत्तं अभचठं पच्चख्खाइ, सूरे उग्गए अठमभत्तं अभत्तठं पच्चख्खाइ, इत्यादिमकारें आगार सहित कहे, ॥ ९ ॥ ॥ दशसुं छठ अठमादिक तप करे अने बीजा दिवसादिकें पाणी वावर, होय त्यारेपाणहारनुं पच्चख्खाण
करे, ते कहे छे.॥ ॥ पाणहार पोरिसिं मुठिसहिअं पच्चख्खाइ. अन्नत्थणा
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