Book Title: Chaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 02
Author(s): Shivnath Lumbaji
Publisher: Porwal and Company
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( २२१) ॥त्रीजु अथ पुरिमड़ अबड्नु पच्चख्खाण ॥ ॥ सूरे उग्गए नमुक्कारसहिअं पुरिमळू अवडूं मुठिसहि पञ्चख्खाइ. सूरे उग्गए चउन्विहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्यणाभोगेण सहसागारेणं पच्छन्नकालेणं दिसामोहेणं साहुवयणेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरे ॥३॥
॥ चो) अथ विगइ निविगइनु पञ्चख्खाण ॥ ॥ विगइओ 'निविगइअ पञ्चख्खाइ अन्नत्यणाभोगेणं सहसागारेणं लेवालेवेणं गिहत्थसंसठेणं उख्खित्तविवेगेणं पडुचमख्खिएणं पारिठावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोंसिरे ॥४॥
॥पांचसु बियासणाएकासणानुं पचरकाण ॥ ॥ उग्गएमरे, नमुकारसहिअं, पोरिसिं साइपोरिसिं, पुरिमई मुठिसहिअं, पञ्चख्खाइ ॥ उग्गएमरे, चउव्विहंपि आहारं, असणं, पाणं, खाइम, साइमं ॥ अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, पच्छन्नकालेणं, दिसामोहेणं, साहुवयणेणं, महत्तरागारेणं, सब समाहिवत्तियागारेणं, (विगइओ पच्चरकाइ ॥ अन्नत्यणाभोगेणं, सहसागा. रेणं, लेवालेवेणं, गिहत्यसंसठेणं, उरिकत्तविवेगेणं, पडुच्चमरिकएणं, पारिठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सबसमाहिवत्तियागारेणं,)
१ सर्व विगयनो त्याग करवो होय तो ए आगार कहेवो.
२-३ कोसवाला आगार विगइर्नु पचखाण करवु होय तो कहेवा. विगयत्यागन करवी होय तोए आगार कहेवानी जरुर नथी.
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