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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २२१) ॥त्रीजु अथ पुरिमड़ अबड्नु पच्चख्खाण ॥ ॥ सूरे उग्गए नमुक्कारसहिअं पुरिमळू अवडूं मुठिसहि पञ्चख्खाइ. सूरे उग्गए चउन्विहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्यणाभोगेण सहसागारेणं पच्छन्नकालेणं दिसामोहेणं साहुवयणेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरे ॥३॥ ॥ चो) अथ विगइ निविगइनु पञ्चख्खाण ॥ ॥ विगइओ 'निविगइअ पञ्चख्खाइ अन्नत्यणाभोगेणं सहसागारेणं लेवालेवेणं गिहत्थसंसठेणं उख्खित्तविवेगेणं पडुचमख्खिएणं पारिठावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोंसिरे ॥४॥ ॥पांचसु बियासणाएकासणानुं पचरकाण ॥ ॥ उग्गएमरे, नमुकारसहिअं, पोरिसिं साइपोरिसिं, पुरिमई मुठिसहिअं, पञ्चख्खाइ ॥ उग्गएमरे, चउव्विहंपि आहारं, असणं, पाणं, खाइम, साइमं ॥ अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, पच्छन्नकालेणं, दिसामोहेणं, साहुवयणेणं, महत्तरागारेणं, सब समाहिवत्तियागारेणं, (विगइओ पच्चरकाइ ॥ अन्नत्यणाभोगेणं, सहसागा. रेणं, लेवालेवेणं, गिहत्यसंसठेणं, उरिकत्तविवेगेणं, पडुच्चमरिकएणं, पारिठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सबसमाहिवत्तियागारेणं,) १ सर्व विगयनो त्याग करवो होय तो ए आगार कहेवो. २-३ कोसवाला आगार विगइर्नु पचखाण करवु होय तो कहेवा. विगयत्यागन करवी होय तोए आगार कहेवानी जरुर नथी. For Private And Personal Use Only
SR No.020138
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnath Lumbaji
PublisherPorwal and Company
Publication Year1925
Total Pages242
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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