Book Title: Chaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 02
Author(s): Shivnath Lumbaji
Publisher: Porwal and Company
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( २१३ )
क्रो० ॥ ४ ॥ वसुदेवनी पांत्रीस हजार स्त्री सिद्धि वरी तेने मारी क्रो० ॥ ५ ॥ ए गिरिराजने विषे शांतिनाथ प्रभुए धणा मुनिराज साथे चोमासु कीधुं, तेने मारी क्रो० ॥ ६ ॥ थावच्चा पुत्र एक हजार साथै सिद्धि वर्षा, तेने मारी. क्रो० ॥७॥ सुभद्र मुनि सातसें साथे सिद्धि वर्या, तेने मारा. क्रो० ॥ ८ ॥ नमिविनमि विद्याधर वे क्रोड मुनि साथै सिद्धि वर्या, तेने मारी. क्रो० ॥ ९ ॥ द्राविड अने वारिखिल्यजी दश क्रोडी साथे सिद्धि वर्या, तेने मारी. ॥१०॥ सांव, मन साडा आठ क्रोडी साथ सिद्धि वर्या, तेने मारी. क्रो० ॥ ११ ॥ देवकीना षट् पुत्रो सिद्धि वर्या, तेने मारी. क्रो० ॥ १२॥ वळी ए गिरिराजने विषे कांकरे कांकरे अनंता सिद्धिपदने वर्या, तेने मारी. क्रो० ||१३|| गिरनारजीने विषे श्री नेमीनाथ भगवान बाळब्रह्मचारीपणे आ संसार दुःख रूप, दुःखे भरेलो, दुःखनी खाण, हळाहळ विष जेवो जाणीने, वळती आग जेवो जाणीने, राजेमतीने छोडी से सावन जइ दीक्षा लेइ केवळज्ञान पामी मोक्षपदने पाम्या, तेने मारी. क्रो० ॥ १४ ॥ वळी गिरनारजीने विषे मूळनायक श्रीनेमिनाथजी आदि जिनेश्वर भगवाननी अनेक प्र तिमाओ छे, तेने मारी. क्रो० ॥ १५ ॥ आबुजी उपर आदीश्वर भगवानना तथा नेमनाथजीनां देशं घणांज सुंदर छे, तेमां कोरणी कारिगरोए घणीज उत्तम करैली छे; तथा देराणी जेठाणीना करावेला गोखला, के जेमां घणीज नाना कदनी नाजुक प्रतिमाओ छे, तेने मारी. को० ॥ १६ ॥ तथा अचळगढ उपर चौदसो ने चुंबाळीस मणनी सोनानी चौद प्रतिमा, तेने मारी. क्रो० ॥ १७॥
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