Book Title: Bruhad Vedoktarampaddhati
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Page 12
________________ Shrifair Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Bilendir www.kobath.org यणायुधैर्युक्तंकृत्वात्मानंकलौयुगे॥कुरुतेपुण्यकर्माणिमेरुतुल्यानितानिवै॥६॥ // पाने॥भगवद्वाक्यं // ॥सुदर्शनंपांचजन्यंसौवर्णेनचपूरयेत्॥रौप्येणा पिहिताम्रणकांस्येनचायसेनवा॥७॥स्नाप्यपंचामृतैः शुद्धैरर्चयेत्पुरतोमम // अर्चयेद्धपुष्पाद्यैस्तत्तन्मंत्रैविधानतः // 8 // तत्रसंस्थापयेदग्निंस्वगृह्योक्तवि। धानतः॥ आचार्योजुहुयादाज्यमंत्रेणाग्नौद्विजोत्तमः॥९॥अष्टोत्तरंसहस्रंवा शतमष्टोत्तरंतथा॥ जुहुयान्मूलमंत्रेणतथान्यैर्वैष्णवैः शुभैः॥१०॥ मंत्रैः पुरु पसूक्तैश्चजुहुयाहृतपायसं // तस्मिन्नग्नौक्षिपेच्चक्रशंखंचद्विजसत्तमः // 11 // षडक्षरेणजुहुयादष्टाविंशतिसंख्यया।प्रतप्तंचक्रमादायमंत्रेणैवांकयेद्गुरुः // 12 // शंखेनचांकनंकुर्यादुभयोर्बाहुमूलयोः // होमशेषंसमाप्याथपुनः पूजांसमाचरेत् ॥१३॥अथवाधनुर्बाणेनांकयेत् // तथाच॥ महारामायणे॥ ॥अग्नौवि For Private And Personal

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