Book Title: Bruhad Vedoktarampaddhati
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________________ Shri ir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir बृ. वे. प्राप्तायैस्तुहरेर्दीक्षासर्वदुःखविमोचनी॥॥ तत्त्वसारे॥ // यथाकांचनताया तिकांस्यरसविधानतः॥ तथादीक्षाविधानेनद्विजत्वंजायतेनृणां ॥४॥अवश्य वैष्णवींदीक्षांप्रविशेत्सर्वयत्नतः॥दीक्षितस्यविशेषेणसंसिद्धि त्रसंशयः॥९॥ तत्रमुमुक्षूणांदीक्षायाः कालनियमोनास्ति।तथाहितत्त्वसारे॥ ॥दुर्लभं सद्गुरूणांतुसत्संगंतदुपस्थितम्॥ तदनुज्ञायदालब्धासदीक्षावासरोमहान् // 3 // ग्रामेवायदिवाऽरण्यक्षेत्रेवादिवसेनिशि // आगच्छतिगुरौदैवात्तदादीक्षांप्रकार येत् ॥२॥यदैवेच्छातदादीक्षागुरोराज्ञानुसंयुतः॥ नतीर्थनव्रतंहोमोनस्नानंन / जपः क्रिया ॥३॥दीक्षायाः करणंकिंतुस्वेच्छाप्राप्तेतुसद्गुरौ॥४॥ ॥प्रपन्नामृते रामानुजाचार्यवाक्यंस्वाचार्यप्रति॥ ॥स्वपंतंवापि जानंगच्छंतमपिवर्त्म नि॥युवानमपिबालंवास्ववश्यंकुरुतेविधिः॥५॥ इदमद्यकृतंकार्यश्वोऽन्यत्का 2 For Private And Personal

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