Book Title: Bruhad Vedoktarampaddhati
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________________ Shri Mhe Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri l andir / 於路路路路路路路路路路路路路路路路路路路路於泰然 वसुदशनंभास्करकोटितुल्यम् // सुरद्विषःप्राणविनाशविष्णोश्चक्रंसदाहंशरणं रा.प. प्रपद्य॥१॥विष्णोर्मुखोत्थानिलपूरितस्ययस्यध्वनिर्दानवदर्पहंता॥ तंपांचजन्य शशिकोटिशुभ्रंशंखंसदाहंशरणंप्रपद्ये // 2 // हिरण्मयींमेरुसमानसारांकौमोदकी दैत्यकुलैकहंत्री॥वैकुंठवामाग्रकराभिमृष्टांगदांसदाहंशरणंप्रपद्ये // 3 // रक्षो सुराणांकटिनोप्रकंठछेदक्षरच्छोणितदिग्धधारम् // तंनंदकंनामहरेःप्रदीप्तंखड़ सदाहंशरणंप्रपद्ये // 4 // यज्ज्यानिनादश्रवणात्सुराणांचेतांसिनिर्मुक्तभयानिस द्यः॥ भवंतिदैत्याशनिबाणवर्षशासदाहंशरणप्रपद्ये ॥५॥शंखंचचक्रंचग। दांचनंदकंशाङ्गदधत्यद्भुतविश्वरूपम् // तंपुंडरीकाक्षमुदारशक्तिंविष्णुंसदाहंश रणंप्रपद्ये ॥६॥इतिशंखचक्रादिप्रार्थयेत॥ अथस्वात्मभावना॥ ॥अह मस्मिनारायणदासदासदासस्यदासस्यचदासदासः॥ अन्येभ्यईशोजगतांनरें। For Private And Personal

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