Book Title: Bruhad Vedoktarampaddhati
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Page 115
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Pravnendir मनर्पणम्॥६॥विनियुक्तावशिष्टस्यप्रदानंव्यंजनादिके॥ पृष्टीकृत्यासनंचैव प रेषामभिवादनम् ॥७॥गुरौमौनं निजस्तोत्रंदेवतानिंदनंतथा॥ अपराधास्तथा विष्णोद्वात्रिंशत्परिकीर्तिताः॥८॥ नामापराधयुक्तानांनामान्येवहरत्यघं // विश्रांतप्रयुक्तानितान्येवार्थकराणिच ॥९॥इतिहरिभक्तिविलासे // अथा। टयाम // निशांतःप्रातःपूर्वाण्डं मध्यान्हमपरान्हकं // सायंप्रदोषोनक्तंचकाला टकमिदंविदुः॥१॥ स्नानंवेनिशान्तेच करोतिरघुनंदनः // प्रभातेमृगया। लीलांगजाश्वरथपत्तिगैः॥२॥ पूर्वाण्हेभोजनंनिद्रांमध्यान्हेचसभागतं॥नृत्य गीतादिवाद्यंचजलक्रीडादिकंतथा॥३॥ अपराण्हेपुनीलामनशस्त्रादिशिक्ष, // सायंकालेद्यूतक्रीडांप्रेमोध्यासमहोत्सवं // 4 // पुनःस्नानप्रदोषेचवेषादियो। जनंतथा॥नक्तंपर्य्यकशयनंप्रियाप्रेमपरायणम्॥५॥ श्रीसीतारामपादाब्जेसे For Private And Personal

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