Book Title: Bruhad Vedoktarampaddhati
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Page 128
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir रा.प. हलौकिकमैश्वर्यस्वर्गाद्यपारलौकिकम् // कैवल्यंभगवन्तं च मंत्रोयंसाधयिष्य ति ॥२४॥अश्वमेधसहस्राणिराजसूयशतानिच // सकृत्षडक्षरंजप्त्वालभते नात्रसंशयः॥२५॥ सर्वेषामेवमंत्राणांप्रथमंगुह्यमुत्तमम्॥ मंत्ररत्नंनृपश्रेष्ठस। द्योमुक्तिफलप्रदम्॥२६॥अथ द्विपंचाशद्वाराख्या।रामानन्दोनिम्बादित्योवि ष्णुश्यामः श्रीमाधवः॥ चत्वारोधर्मशीलाश्चजगतिधर्मस्थापकाः॥ 1 ॥एतेषा। मनुयायिनोद्विपंचाशद्विजज्ञिरे॥अनन्तानंदालखरामौसुखानंदोनरहरिः // 2 // भावानन्दकिलागौचसुरसुरानन्दस्तथा।पीपाखोजिजंगमाश्चत्यागिविरमथंभ। णा॥शादेवाकरानभानन्दौगोकुलोविठ्ठलस्तथा // नाभाटीलाशोभुरामाःराघव चेतनस्तथा // 4 // ज्ञानिनामापरशुरामौनामदेवकबीरको // कुवाख्योदेवमुरारि दुंदुरामभगंडिनौ ॥५॥चेतनस्वामीनागाख्यआत्मारामस्तथैवच // नित्यान For Private And Personal

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