Book Title: Bruhad Vedoktarampaddhati
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Page 118
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyappandir M रा.प. कास्तीर्थकोटिमनोरथैः // 16 // // पाझे॥॥छिन्नस्तेनमहासिनागर्भवासो ऽतिदारुणः॥पीतयेनसकृद्भक्त्याश्रीकृष्णचरणोदकम् // 17 // सुलभंकिंनसे वेतहरेःपादोदकंशुभम् // यस्यस्पर्शनमात्रेणप्रीतोभवतिमाधवः ॥१८॥सब मचारीसवतीआश्रमीचसदाशुचिः // विष्णोःपादोदकंयेनमुखेशिरशिधार्यते॥ // 19 // ॥सामवेदेआनायोपनिषदःआंगिरसभाष्यभगवत्प्रसादाशन विधिः॥ ॥तत्प्रसादंषोडशाविष्वक्सेनादिपार्षदप्रवरेभ्यः सकाशात् गृहीत्वाघ णाऽतस्तेषांकृपातदनुज्ञाआपोशानमशित्वा॥ प्राणायस्वाहेतितर्जन्यंगुष्ठमध्य माभिर्घसेत् // अपानायस्वाहेतिमध्यमानामिकांगुष्ठेनचानामिकाकनिष्ठिकांगु छैः॥ व्यानायस्वाहेतितर्जन्यानामिकांगुष्ठैः॥उदानायस्वाहेतिसर्वैःपंचांगुली भिः॥समानायस्वाहेतिपंचमान जिव्हयाग्रसेत् // पुनःआपोपिधानमसीतिज For Private And Personal

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