Book Title: Bruhad Vedoktarampaddhati
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Page 120
________________ Shri Mabayir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gagadir * * * * * तस्यनश्यति॥५॥विष्णोनिवेदितानयोनानातिस्पर्शशंकया // वायसोविड्व राहश्चविष्ठायांजायतेकृमिः॥६॥ परमेष्ठिसंहिताया // विष्णोर्नैवेद्यंसंत्यज्य यःकुर्यादन्नअक्षणं // सयातिनरकेघोरयावच्चंद्रदिवाकरौ // 7 // विष्णुनिवेदि। तंशुद्धपावनानांचपावनम् ॥दुर्लभंपावनभोज्यंनत्याज्यस्यात्कदाचन // 8 // दालायः॥ अन्नपानादिकंविष्णोः प्रसादंनित्यसेवनं // सर्वाषनाशनंसर्वपुण्य / दमुक्तिदंशुभम् ॥९॥विष्णोनैवेद्यमश्रीयात्वैष्णवस्तुविशेषतः॥शतजन्मक पापंतत्क्षणादेवनश्यति // 30 // विष्णोनैवेद्यंदुष्यंतियेनरामूढचेतसः॥श्वान योनिशतंप्राप्यपुनःसूकरतामियात्॥११॥ ॥पंचरात्रे॥॥यःश्राद्धकालेहरि भुक्तशेषंददातिभक्तःपितृदेवतानाम् ॥तेनैवपिंडांश्चतिलैर्विमिश्रांस्तत्कोटिकल्पं पितरः सुनृप्ताः॥१२॥विष्णोनिवेदितान्नेनयष्टव्यदेवतांतरम्॥ पितृभ्यश्चापितद्दे * * * SXESXXXXXXX For Private And Personal

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