Book Title: Bruhad Vedoktarampaddhati
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Page 122
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyaraydir रा.प. भ्योजुहुयादविः॥पितृभ्यश्चविशेषेणसर्वमानंत्यमश्नुते 21 विष्णवेकल्पितंचान दद्याद्भक्तेभ्यएवच॥वैश्वदेवंततःकुर्याच्छाद्धकर्मादिकंतथा ॥२२॥हरिशुक्तशेषंद / द्यात्पितॄणांचदिवौकसां // तदेवजुहुयादग्नौमुंजीतापिस्वयंनरः // 23 // यदा, लभेत्स्वसिद्धानं जीतप्रोक्ष्यमंत्रतः॥ विष्णुभुक्तमितिध्यात्वासात्विकस्तुविशे , षतः॥२४॥ ॥वसिष्ठस्मृतौ॥ // स्वयंव्यक्तानिस्थानानिश्रीरंगव्यंकटा / दयः॥ मद्भक्तःशेषमादायगृहबिंबेनिवेदयेत् // 25 // // उशनाआह // ग्रामप्रतिष्ठाशेषतुगृहा_यांनिवेदयेत् // ततोतर्यामिनंदद्यात्स्वयंभुंजीतवैष्ण। वः // 26 // प्राणेभ्योजुहुयादन्नमन्निवेदितमुत्तमं॥ ममापिहृदयस्थस्यपितृभ्यश्च / विशेषतः॥२७॥ वैष्णवानंसदाश्नीयाद्विष्णुसायुज्यहेतवे॥ वैष्णवान्नंत्यजे द्योवैसयातिनरकंध्रुवं // 28 // ॥भागवते॥ // महाप्रसादेगोविंदेनामब्रह्म For Private And Personal

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