Book Title: Bruhad Vedoktarampaddhati
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________________ Shri Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur a ndir पधरंनित्यमन्यद्रव्यंनधारयेत् 4 श्यामंशांतिकरंप्रोक्तंरक्तंवश्यकरंतथा|श्रीकर प्रीतमित्याहुःश्वेतंमोक्षप्रदंशुभम् // 9 // // तत्रलक्ष्मीद्वादशनाम // ॥श्रीदे वीप्रथमंनामद्वितीयममृतोद्भवा // तृतीयंकमलाप्रोक्ताचतुर्थचंद्रशोभिनी॥६॥ पंचमंतुवरारोहाषष्ठंतुहरिवल्लभा / सप्तमंविष्णुपत्नीस्यादष्टमंवैष्णवीतथा। नवमंशाङ्गिणीप्रोक्तादशमंदेवदेविच // एकादशंतुलक्ष्मीःस्याद्वादशंसुरसुंदरी॥ An8 // एवंध्यात्वांतरालेषुहरिद्राधारयेच्छ्रियम्॥९॥इतिऊर्ध्वपुंडधारयेत् // अथनिषेधलक्षणंपाझे॥ ॥वर्तुलंतिर्यगच्छिद्रंहस्वंदीर्घतनुतरं ॥वक्रविरूपं बद्धारांछिन्नमूलंपदच्युतम् ॥१॥अशुभ्रंरूक्षमासक्तंतथानांगुलिकल्पितम् ॥वि Maiगंधंचाप्यसंख्यंचपुंडमाहुरनर्थकम् // 2 // इतिनिषेधलक्षणं // इतिऊर्ध्वपुंड्धा रणविधिः॥ // अथशंखचक्रादिप्रार्थना // // स्फुरत्सहस्रारिशिखातिती For Private And Personal

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