Book Title: Bruhad Vedoktarampaddhati
Author(s):
Publisher:
View full book text
________________ Shri MEM Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir 杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂学学杂路路路路路路 ह्मणवैष्णवभोजनंदद्यात् // तत्रजपलक्षणम् // वाचिकस्त्वेवमेकंस्यादुप शुशतमुच्यते // सहस्रंमानसंप्रोक्तंत्रिविधाजपलक्षणम् // 1 // ॥तथाच॥ उच्चै पादुपांशुश्चसहस्रंफलमुच्यते // मनसाचमनुजाप्यमनंतंफलमुच्यते // // 2 // पूर्वाश्रमंतुरीयंतुनारीसंगंविवर्जयेत् // जपेमौनंतथायोगोब्रह्मचर्य / दमस्तथा // 3 // कामक्रोधंतथालोअंमोहमानमदस्त्यिजेत् // मत्सरद्वेषरौक्षोक्ति / निद्रालस्यादिवर्जयेत् // 4 // स्नात्वाशुक्लांबरधरःकृतकृत्योयथाविधिः॥तदेहय नेनचवैसारूप्यत्वमवाप्नुयाता५॥इतिमंत्राराधनविधिः॥ ॥अथपूजाविधि / निरूप्यते।तथाचशांडिल्यस्मृतौ ॥प्रातःकृत्यमकृत्वातुयःपूजयतिकेशवं // तस्यपूजानिष्फलास्यान्मद्यस्पर्शपयोयथा // 1 // तस्मात्पूर्वप्रयत्नेननित्याचार समाचरेत् // 2 // चरणपद्मसंभूतंशालग्रामस्यचोदकम् // यःपिबेद्भक्तितोनित्यं - 於染染染於路 For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135