Book Title: Bruhad Vedoktarampaddhati
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Page 102
________________ Shri Mabar Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyamandir रा.प. तिततोन्नं भगवद्रूपायशालिग्रामस्वरूपायनिवेद्यांतर्पुटंदत्वा बहिरागच्छेत् // रुषसूक्तं तारक ब्रह्मजपःकृत्वा॥मध्येजलं निवेद्य क्षणिकोभूत्वा नैवेद्यंपरिसरेत / पुनर्नादंनिनदन्नाचमनीयं चपेयं पीयूषममृतंफलेक्ष्वादिकंदत्वाप्साशुद्धेनसाम्ना मुखशुद्धिंदत्वातुलस्यांजलिंदद्यात्॥इतिश्रुतिः॥ ॐ विष्णुः॥३॥इत्याचमनं नागवल्लीदलंदिव्यंपूगीखदिरसंयुतम् // वकंसुरभिकृत्स्वादुतांबूलंप्रतिगृह्यताम् / 21 // ॥इतिताम्बूलं॥ // सदीप्तंघृतकर्पूरपूरितंसप्तवर्तिकम् ॥आर्तिक्यं / देवदेवेशसंग्रहीष्वमयार्पितम् // 22 // // इत्यार्तिक्यं // ॥चंद्रसूर्यसमज्यो / तिराकाशतारासमन्वितम्॥शब्दोर्यत्रिदेवेशसंगृहाणार्तिकंप्रभो॥२३॥ ॥इति / पुनरार्तिक्य॥ ॥यन्मयाभक्तियोगेनदत्रंपुष्पंफलंजलम।आवेदितंचनैवेद्यंत 18 डहाणानुकंपया // 24 // आवृतांमृदुपुष्पाणांवनस्पतिरसायुताम् // पुष्पांजलि For Private And Personal

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