Book Title: Bruhad Vedoktarampaddhati
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Page 106
________________ Shri Matavi Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanja dir II वे . तांचामीकरसमप्रभा // नीलपद्मधरांदेवींचारुहासांशुभाननाम् // 12 // पश्यं / / रा.प. तस्निग्धयादृष्टयादिव्याकल्पविराजिताम्॥छत्रचामरहस्तेनलक्ष्मणेनसुसेधित म् ॥१३॥हनुमत्प्रमुखैर्नित्यंवानरैःपरिसेवितम् ॥स्तूयमानमृषिगणैःसेवितं / भरतादिभिः॥१४॥सनन्दनादिभिश्चान्योंगिदैश्वसेवितम् // सर्वशास्त्रा र्थतत्त्वज्ञंयोगज्ञयोगसिद्धिदं // 15 // शुद्धेनमनसारामंपूजयेत्सततंहदि॥१६॥ // इतिध्यानम् // // आवाहयामिदेवेशंजानकीवल्लभविभुं // कौसल्यातनयं / / विष्णुंश्रीरामंप्रकृतेःपरम् // 17 // // इत्यावाहनम् // // राजाधिराजराजें। द्ररामचंद्रमहीपते // रत्नसिंहासनंतभ्यंदास्यामिस्वीकरुप्रो // 18 // // त्यासनम् // श्रीरामागच्छभगवन् रघुवीरनृपोत्तम // जानक्यासहराजेंद्रसु स्थिरोक्षवसर्वदा॥३९॥रामचंद्रमहेष्वासरावणान्तकरायव ॥यावत्पूजांसमर्थे For Private And Personal

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